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एथेनॉल का उत्पादन

मक्के की फसल से बिहार में बढ़ेगा एथेनॉल का उत्पादन

मक्के की फसल से बिहार में बढ़ेगा एथेनॉल का उत्पादन

मक्के की फसल से बिहार में एथेनॉल (इथेनॉल; Ethanol) का उत्पादन किया जायेगा, जिसके लिए बिहार में बहुत बड़ा और नया प्लांट खुलने जा रहा है। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बेहतर होगी, वहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। साथ ही एथेनॉल उत्पादन से पेट्रोलियम के दामों में भी कमी आएगी। भारत में ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट (Green Field Grain Based Ethanol Plant) की शुरुआत बिहार के पूर्णियां जिले में हुई है। यह प्लांट लगभग ६५ हजार लीटर उत्पादन करने में सक्षम है। देश में एथेनॉल से चलने वाली कार भी लॉन्च होने लगी है। आने वाले समय में एथेनॉल की मांग में बढ़ोतरी होने वाली है। मक्के की फसल से बिहार के लोग आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ने का कार्य कर रहे हैं।

एथेनॉल की कितनी मांग है बाजार में

बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए पूर्व उघोग मंत्री शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखकर तेल कंपनियों को बिहार से एथेनॉल खरीदने के लिए मांग की गयी है। बिहार में लगभग १३९ उघोगों को एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रथम चरण में स्वीकृति दी गयी है, जिससे कि उत्पादन ४ करोड़ लीटर से बढ़कर ५८ करोड़ हो सके। हालाँकि अब बिहार की बेहतरीन पोलिसी से प्रभावित होकर अन्य कम्पनियाँ भी प्लांट खोलने के लिए आग्रह कर रही हैं। भविष्य में एथेनॉल की मांग में अच्छी खासी वृद्धि होने जा रही है, इसलिए एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कंपनियां पूर्ण प्रयास कर रही हैं।


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बिहार में एथेनॉल प्लांट की शुरुआत पुर्णिया जनपद से हुई है

बिहार के पुर्णिया जिले में सर्वप्रथम ग्रीनफ़ील्ड ग्रेन बेस्ड एथेनॉल प्लांट की शुरुआत हुई है, साथ ही यह बिहार का पहला वाटर बॉटलिंग प्लांट भी है। बिहार में एथेनॉल प्लांट के खुलने से करीबी क्षेत्रों में उन्नति होगी, जिसमें कतिहार, अररिया, किशनगंज और पुर्णिया जनपद सम्मिलित हैं। बिहार की अर्थव्यवस्था को देखते हुए वहां औघोगिक क्रांति की अत्यंत आवश्यकता है। बिहार में रोजगार के कम अवसर होने की वजह से वहां के ज्यादातर लोगों को अपनी आजीविका के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है और वास्तविक मजदूरी से कम कीमत पर काम करना पड़ता है। एथेनॉल प्लांट खुलने से उनको गृह राज्य में ही रोजगार का अवसर प्राप्त हो पायेगा।

किसानों को एथेनॉल प्लांट खुलने से क्या लाभ होगा

एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का और धान जैसी फसलों की बेहद आवश्यता होती है और बिहार में मक्का की फसल से एथेनॉल उत्पादन किया जायेगा, जिसका प्रथम प्लांट पूर्णियां जिले में खुल चुका है। किसानों को मक्का और धान की फसल में काफी मुनाफा मिलेगा, साथ ही अच्छी कीमत पर उनकी फसल विक्रय हो पायेगी। किसानों को खाली समय में रोजगार का भी अवसर प्राप्त होगा।

एथेनॉल उत्पादन से देश को क्या लाभ होगा

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी; EBP - Ethanol Blended Petrol) कार्यक्रम जनवरी 2003 में शुरू किया गया था। कार्यक्रम ने वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने की मांग की। चूंकि इथेनॉल अणु में ऑक्सीजन होता है, यह इंजन में ईंधन को पूरी तरह से दहन करने देता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन कम होता है और इस तरह पर्यावरण कम प्रदूषित होता है।


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विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2021 के अवसर पर, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग अब संभव है। वर्ष 2025 तक, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के उत्पादन के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और वाहन निर्माताओं की विशिष्ट जिम्मेदारियों का सुझाव दिया गया है। वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को अपार लाभ मिल सकता है, जैसे प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्सर्जन, बेहतर वायु गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग, किसानों की आय वृद्धि, रोजगार सृजन और अधिक निवेश के अवसर मिलेंगे। एथेनॉल उत्पादन से देश की अर्व्यवस्था मजबूत होने के साथ साथ पेट्रोलियम का आयात भी कम होगा, जिससे देश का पैसा बचेगा। फ़िलहाल एथेनॉल सम्मिश्रण की मात्रा देश में ५% है, जिसको वर्ष २०२५ तक २०% तक करने की तैयारी है। इससे पेट्रोल के खर्च में कमी आएगी और भारत आत्मनिर्भरता की और बढ़ेगा। पेट्रोलियम के लिए पूर्णतया विदेशों पर निर्भर रहने से देश का अधिक खर्च होता है, देश में ही एथेनॉल उत्पादित करके जीडीपी में बढ़ोत्तरी भी होगी और देश की स्थिति भी बेहतर होगी।
एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी

एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी

जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक प्रदेश माना जाता है। राज्य में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी में मात्र 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल का उत्पादन हो पाता था। 

पूरी दुनिया में प्राकृतिक ईंधन की खपत के साथ मांग भी तीव्रता से बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल- डीजल के भंडार को अतिशीघ्र समाप्त होने का संकट मडराने लगा है। 

परंतु, भारत के साथ- साथ बाकी देशों ने पेट्रोल- डीजल की खपत में गिरावट करने हेतु उत्तम विकल्प का चयन कर लिया है। वर्तमान में प्राकृतिक ईंधन के स्थान पर जैविक ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। 

विशेष रूप से भारत में गन्ने के रस द्वारा प्रति वर्ष करोड़ों लीटर एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल इंधन के तौर पर किया जा रहा है। 

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दरअसल, भारत में एथेनॉल निर्मित करने हेतु अलग से बहुत सारे प्लांट स्थापित किए गए हैं। परंतु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने से बड़े पैमाने पर एथेनॉल की पैदावार की जा रही है। 

विशेष बात यह है, कि इस कार्य में स्वयं चीनी मिलें जुटी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में गन्ने के माध्यम से एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है। 

दरअसल, सरकार का कहना है, कि एथेनॉल के इस्तेमाल से पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट आएगी। इससे इनकी कीमतों में भी काफी कमी देखने को मिलेगी। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर होगा।

एथेनॉल किस तरह से बनाया जाता है

एथेनॉल निर्मित करने के लिए सर्वप्रथम गन्ने की मशीन में पेराई की जाती है। इसके उपरांत गन्ने के रस को एक टैंक में कुछ घंटों तक इकट्ठा करके उसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है। 

उसके बाद टैंक में बिजली द्वारा हिट देकर एथेनॉल तैयार किया जाता है। विशेष बात यह है, कि आप एक टन गन्ने द्वारा 90 लीटर तक एथेनॉल निर्मित कर सकते हैं। तो वहीं एक टन गन्ने के उपयोग से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर की पैदावार की जा सकती है।

एथेनॉल को ईंधन के तौर पर ऐसे इस्तेमाल करें

एथेनॉल एक प्रकार का जैविक ईंधन माना जाता है। इसका पेट्रोल में मिश्रण करके ईंधन की भांति उपयोग किया जाता है। इससे संचालित होने वाली गाड़ियां काफी कम प्रदूषण करती हैं। 

अब हम ऐसी स्थिति में कह सकते हैं, कि एथेनॉल पर्यावरण सहित किसानों के लिए भी लाभकारी है। साथ ही, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आम जनता को भी महंगाई से काफी सहूलियत मिलेगी। 

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एथेनॉल से निर्मित ईंधन 30 से 35 रुपए की बचत कराएगा

दरअसल, फिलहाल एथेनॉल का भाव 60 से 65 रुपये लीटर है। वहीं, पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के लगभग है। अगर आगामी समय में एथेनॉल का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर बढ़ेगा तो आम जनता को महंगाई से सहूलियत मिलेगी। 

पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि आने पर उसका प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि माल ढुलाई का खर्चा भी बढ़ जाता है। 

ऐसी स्थिति में खाद्यान वस्तुएं भी काफी महंगी हो जाती हैं। हालांकि, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल करने पर पेट्रोल की तुलना में आम जनता को 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।

इतने लाख टन कार्बन के उत्सर्जन में भी आई कमी

वर्तमान में भारत के अंदर पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित कर के बेची जा रही है। हालाँकि, केंद्र सरकार का लक्ष्य है, कि वर्ष 2025 तक पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा में वृद्धि करके 20 प्रतिशत तक कर दिया जाएगा। 

हालांकि, ईंधन में एथेनॉल मिश्रित करके केंद्र सरकार द्वारा अब तक 41 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की गई है। इसी कड़ी में लगभग 27 लाख टन कार्बन का उत्सर्जन भी कम हुआ है।

कितने करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है

भारत का उत्तर प्रदेश राज्य सर्वोच्च एथेनॉल उत्पादक प्रदेश है। प्रदेश में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी सिर्फ 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल की पैदावार कर पाता था।

लेकिन, सर्वाधिक एथेनॉल उत्पादन करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। गन्ना सीजन 2022-23 में यूपी द्वारा 150.8 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो कि विगत वर्ष इसी अवधि तक 150.8 लाख टन से भी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि एथेनॉल उत्पादन का प्रभाव चीनी उत्पादन पर नहीं होगा।